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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2721
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर

प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।

अथवा
वैधता से आप क्या समझते हैं? किसी मनोवैज्ञानिक परीक्षण की वैधता कैसे निकाली जाती है?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न

1. किसी परीक्षण की वैधता से आपका क्या आशय है?
2. वैधता का अर्थ बताइये।
3. किसी परीक्षण की वैधता किस प्रकार ज्ञात की जा सकती है?
4. किसी परीक्षण की वैधता को परिभाषित कीजिये।
5. परीक्षण वैधता का अर्थ स्पष्ट कीजिये।

उत्तर -

परीक्षण वैधता का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Test Validity)

किसी भी परीक्षण की वैधता से अभिप्राय उसकी सत्यता (Truthfulness), शुद्धता (Accuracy) और प्रभावकता (Effectiveness) से लगाया जाता है। भिन्न-भिन्न विद्वानों ने वैधता को भिन्न-भिन्न रूप से परिभाषित किया है, उनमें से कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं :

" वैधता किसी मापन यंत्र का वह गुण है कि वह उसी चीज का मापन करता है जिसका मापन करना उसका उद्देश्य है।'

"Validity is the property of a measuring device that it measures in fact what it is intended to measure".- चैपलिन (Chaplin, 1975)

"किसी परीक्षण की वैधता उसकी वह सीमा है जिस तक वह माप करता है तथा जिसके लिए उसका निर्माण किया गया है।'

"Validity is the extent which a test measures what it purport to measure." - एल. जे. क्रॉनबैक (L.J. Chronback, 1984)

"वैधता सूचकांक उस मात्रा को व्यक्त करता है जिस मात्रा तक वह परीक्षण उद्देश्य की पूर्ति करता है तथा जिस उद्देश्य के लिए इसका निर्माण किया गया है, इसकी तुलना स्वीकृत कसौटियों के आधार पर की जाती है।'

"An index of validity shows the degree to which a test measures which it purport to measure, when compared with accepted criteria." - एफ. एस. फ्रीमैन (F.S Freeman, 1971)

उपरोक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर वैधता को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि यदि कोई परीक्षण उस चीज का अच्छी तरह मापन करता है जिसके लिए उसे बनाया गया है तथा यह परीक्षण स्वीकृत कसौटियों के आधार पर परखा गया है तो वह परीक्षण वैध कहलायेगा। उपरोक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि किसी परीक्षण की वैधता तभी मानी जायेगी जब उसमें निम्नलिखित विशेषतायें हों-

1. परीक्षण उसी क्षमता या गुण का मापन करता हो जिसके मापन के लिए उसे बनाया गया है।

2. परीक्षण क्षमता या गुण का सही-सही मापन करता हो।

3. परीक्षण की वैधता के लिए उसका बाह्य कसौटियों के साथ सहसम्बन्ध उच्च होना चाहिये।

4. वैधता एक सापेक्षिक पद (Relative term) है अर्थात् एक परीक्षण प्रत्येक योग्यता या गुण के मापन के लिए वैध नहीं होता है।

5. वैधता के लिए आवश्यक है कि परीक्षण को स्वीकृत कसौटियों के आधार पर बनाया गया हो।

6. वैधता किसी परीक्षण का निश्चित गुण नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि जो परीक्षण आज वैध है, चालीस वर्ष के बाद भी वैध होगा।

7. एक परीक्षण की वैधता की एक निश्चित मात्रा होती है।

वैधता के आंकलन की विधियाँ
(Methods of Estimating Validity)

किसी मनोवैज्ञानिक परीक्षण की वैधता ज्ञात करने की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-

1. सहसम्बन्ध विधियाँ (Correlation Methods) - चैपलिन (Chaplin, 1975) परीक्षण की वैधता को ज्ञात करने के लिए विभिन्न सहसम्बन्धात्मक विधियों का उपयोग किया जाता है। वैधता आंकलन की ये विधियाँ मनोवैज्ञानिक मानी जाती हैं। इसके लिए प्रायः परीक्षण से प्राप्त प्राप्तांकों एवं परीक्षार्थियों के निष्पादन अंकों (Performance scores) के मध्य सहसम्बन्ध की गणना करके वैधता गुणांक ज्ञात किया जाता है। यदि सहसम्बन्ध उच्च होता है तो परीक्षण की वैधता उच्च मानी जाती है। प्रायः सहसम्बन्ध की गणना के लिये निम्नलिखित विधियाँ प्रयुक्त होती हैं -

(i) कोटि अन्तर विधि (Rank Difference Method) - अप्राचल विधियों में निम्नलिखित दो विधियाँ अधिक प्रचलित हैं -

(a) स्पीयरमैन कोटि अन्तर विधि (Spearman's Rank Difference Method) - इस विधि को स्थान क्रम विधि (Rank order method) के नाम से भी जाना जाता है। इस विधि का प्रयोग छोटे प्रतिदर्शों एवं विषमजातीय प्रदत्तों में किया जाता है। प्रदत्त इस प्रकार के होने चाहिये जिन्हें स्थान क्रम में बदलना सम्भव हो। इस विधि में निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है -

2721_117_A

 

यहाँ,

P = कोटिक्रम विधि द्वारा ज्ञात सहसम्बन्ध गुणांक

ΣD2 = पदों के अन्तरों के वर्गों का कुल योग

N = कुल युग्म आवृत्तियों की संख्या

गैरेट (1980) के अनुसार यह एक सरल विधि है परन्तु इस विधि के द्वारा प्राप्त परिणाम अधिक शुद्ध नहीं होते हैं।

(b) केण्डल कोटि सहसम्बन्ध विधि (Kendall's Rank Correlation Method) - इस सहसम्बन्धं विधि के द्वारा प्राप्तांकों के दो सेट के मध्य सहसम्बन्ध गुणांक की गणना निम्नलिखित सूत्र के द्वारा की जाती है -

2721_117_B

 

यहाँ.

T = केण्डल कोटि सहसम्बन्ध

S = वास्तविक योगदान

N = प्राप्तांकों की संख्या

(ii) प्रोडक्ट मोमेण्ट विधि (Product Moment Method) - चैपलिन (Chaplin, 1975) यह एक प्राचल सहसम्बन्ध विधि है। यहाँ N का मान 30 से अधिक भी हो सकता है। इसमें प्राप्तांकों का वितरण समान होता है तथा इसमें दो चरों के मध्य रेखीय सम्बन्ध (Linear relationship) होता है। इस विधि में सामान्यतः वास्तविक मध्यमान विधि (Real Mean Method) या कल्पित मध्यमान विधि ( Assumed Mean Method) का प्रयोग किया जाता है। इनके सूत्र निम्नलिखित हैं-

वास्तविक मध्यमान विधि -

2721_117_C

यहाँ,

x और y = वास्तविक मध्यमान से विचलन

Σxy = x एवं y विचलनों के गुणनफल का योग

Σx2 = मध्यमान से Xx प्राप्तांकों के विचलन के वर्गों का योग

Σy2 = मध्यमान से y प्राप्तांकों के विचलन के वर्गों का योग

कल्पिन मध्यमान विधि -

2721_117_D

 

यहाँ.

x = कल्पित मध्यमान से x चर के प्राप्तांकों का विचलन

y = कल्पिन मध्यमान से y चर के प्राप्तांकों का विचलन N= प्राप्तांकों की संख्या

cx एवं cy = x एवं y वितरण की अशुद्धि

ox एवं oy = x एवं y वितरण का प्रामाणिक विचलन

(iii) द्विश्रेणिक सहसम्बन्ध विधि (Biserial Correlation Method) - इस विधि के द्वारा सहसम्बन्ध की गणना वहाँ की जाती है जहाँ पर दो चरों का वितरण सामान्य, निरन्तर एवं रेखीय होता है तथा N का आकार भी बड़ा होता है। इस विधि के द्वारा प्राप्त सहसम्बन्ध अपेक्षाकृत शुद्ध होता है। इस विधि का सूत्र निम्नलिखित है-

2721_118_A

 

यहाँ,

rbis = द्विश्रेणिक सहसम्बन्ध

Mp = द्विभाजी चर के पहले समूह का मध्यमान

Mq = द्विभाजी चर के दूसरे समूह का मध्यमान

ot = पूरे समूह का प्रामाणिक विचलन

P = पहले समूह में पूरे समूह का अनुपात

q = दूसरे समूह में पूरे समूह का अनुपात

y = सामान्य सम्भावना वक्र के उस ordinate की ऊँचाई जो p एवं q को अलग करती है।

(iv) बिन्दु द्विश्रेणिक सहसम्बन्ध विधि (Point Biserial Correlation Method) - इस विधि का उपयोग उस समय किया जाता है जब दो चरों में एक द्विभाजी हो तथा दूसरा खण्डित (Discrete) हो तथा दोनों चरों का विचलन समान रूप से वितरित न हो। इसका सहसम्बन्ध द्विश्रेणिक सहसम्बन्ध की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होता है। इसके लिए N का बड़ा होना आवश्यक नहीं है। इसका सूत्र निम्नलिखित है-

2721_118_B

इस सूत्र में संकेतों के अर्थ द्विश्रेणिक सहसम्बन्ध विधि के सूत्र की भांति ही हैं।

(v) फाई गुणांक विधि (Phi-coefficient Method) - चैपलिन (Chaplin, 1975) इस विधि का प्रयोग तब किया जाता है जब 2 x 2 चतुष्पदी तालिका होती है। इसकी गणना उन दो चरों के मध्य सहसम्बन्ध ज्ञात करने के लिए की जाती है जिनके प्रदत्त द्विभागी ( Dichotomous), खण्डितं (Discrete) तथा सामान्य वितरण वाले नहीं होते हैं। इसका सूत्र निम्नलिखित है-

2721_118_C

यहाँ Q = फाई सहसम्बन्ध गुणांक ABCD = चारों खानों में विद्यमान आवृत्तियाँ

2. कारक विश्लेषण विधि (Factor Analysis Method) - चैपलिन (Chaplin, 1975) मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की वैधता की गणना में इस विधि का बहुत महत्व है। इस विधि के द्वारा एक परीक्षण के उपभागों और विभिन्न पदों में समानता एवं भिन्नता के अध्ययन के लिए कारक विश्लेषण विधि का प्रयोग किया जाता है। कैटिल द्वारा निर्मित 16 PF प्रश्नावली की वैधता का निर्धारण कारक विश्लेषण विधि द्वारा ही किया गया है। कारक विश्लेषण विधि के निम्नलिखित 6 रूप प्रचलित हैं -

(i) आर-प्रविधि (R-Technique),
(ii) पी- प्रविधि (P- Technique),
(iii) क्यू- प्रविधि (Q- Technique),
(iv) ओ - प्रविधि (O - Technique),
(v) टी-प्रविधि (T- Technique)
(vi) एवं एस. प्रविधि (S-Technique)।

कारकों की गणना (Computation of factors) और कारकों की व्याख्या (Interpretation of factors) के लिए सहसम्बन्धात्मक गुणांक की आवश्यकता होती है। इसके लिए सहसम्बन्धात्मक सारिणी (Correlation matrix) बनाई जाती है। मैट्रिक्स और सांख्यिकीय सूत्रों की सहायता से सामान्य कारकों की गणना की जाती है। चरों एवं प्रत्ययों को समझने में कारक विश्लेषण विधि बहुत उपयोगी है।

3. निरीक्षण विधि (Observation Method) - निरीक्षण विधि अंकित वैधता और आन्तरिक वैधता के मूल्यांकन के लिए एक उपयोगी विधि है। वैधता निर्धारण की यह विधि अत्यन्त सरल है। इस विधि में परीक्षण निर्माणकर्ता परीक्षण के पदों का सूक्ष्मता से अवलोकन करके यह निश्चित करता है कि परीक्षण का एक पद परीक्षण के उद्देश्यों के अनुरूप है या नहीं है। यदि सूक्ष्म अवलोकन के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि परीक्षण के पद परीक्षण के उद्देश्यों के अनुरूप हैं तो यह मान लिया जाता है कि परीक्षण में वैधता है। यह एक आत्मनिष्ठ विधि है तथा इसकी सहायता से सभी प्रकार की वैधता ज्ञात नहीं की जा सकती है।

4. विशेषज्ञ पुनरावलोकन (Expert 's Review) - इस विधि में परीक्षण निर्माणकर्ता परीक्षण को विशेषज्ञों के पास पुनरावलोकन के लिए भेजता है। यदि वे निरीक्षण विधि के द्वारा यह पाते हैं कि परीक्षण के विभिन्न पद अपने उद्देश्य की पूर्ति करते हैं तो परीक्षण को वैध मान लिया जाता है। इस विधि के द्वारा अंकित वैधता (Fave validity) आन्तरिक वैधता ( Internal validity), अन्तर्वस्तु वैधता (Content validity), वृत्तीय वैधता (Circular validity), सुसंगत वैधता (Relevance validity) आदि का आंकलन किया जाता है।

5. वास्तविक निष्पादन विधि ( Actual Performance Method) - इस विधि का उपयोग वैधता निर्धारण के लिए किया जाता है परन्तु इस विधि का उपयोग एक सहयोगी विधि के रूप में ही किया जाता है। इस विधि का उपयोग तभी वैज्ञानिक एवं उपयुक्त होता है जब इसके साथ सहसम्बन्ध विधियों का भी प्रयोग किया जाता है। इस विधि के द्वारा वैधता का आकलन करते समय यह देखा जाता है कि निर्मित परीक्षण पर परीक्षार्थियों के उपलब्धि प्राप्तांक क्या-क्या हैं? नवनिर्मित परीक्षण पर विद्यार्थियों के प्राप्तांकों का अनेक वास्तविक निष्पादन प्राप्तांकों के साथ सहसम्बन्ध की गणना की जाती है। यदि दो सेट के प्राप्तांकों का सहसम्बन्धात्मक गुणांक उच्च होता है तो परीक्षण की वैधता उच्च मानी जाती है और यदि सहसम्बन्ध कम होता है तो यह माना जाता है कि उस परीक्षण की वैधता कम है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
  3. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
  4. प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
  5. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रायोगिक विधि को परिभाषित कीजिए तथा इसके सोपानों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
  15. प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  16. प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  18. प्रश्न- जनसंख्या की परिभाषा दीजिए। इसके प्रकारों का विवेचन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैज्ञानिक प्रतिदर्श की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  21. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  22. प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
  23. प्रश्न- पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श क्या है? इसके क्या कारण होते हैं?
  24. प्रश्न- प्रतिदर्श या प्रतिचयन के उद्देश्य बताइये।
  25. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  26. उत्तरमाला
  27. प्रश्न- वर्णनात्मक सांख्यिकीय से आप क्या समझते हैं? इस विधि का व्यवहारिक जीवन में क्या महत्व है? समझाइए।
  28. प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
  29. प्रश्न- मध्यांक की परिभाषा दीजिये। इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिये।
  30. प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
  31. प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
  32. प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते है? मानक विचलन की गणना के सोपान बताइए।
  33. प्रश्न- रेखाचित्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके महत्व, सीमाएँ एवं विशेषताओं का भी उल्लेख कीजिए।
  34. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- संचयी प्रतिशत वक्र या तोरण किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ है? उदाहरण की सहायता से इसकी पद रचना समझाइए।
  36. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
  38. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  39. प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
  40. प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
  41. प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- विचलन गुणांक की संक्षिप्त व्याख्या करें।
  44. प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज और स्तम्भाकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
  48. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
  49. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यमान की गणना कीजिए।
  51. प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
  52. प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
  53. प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
  54. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  55. उत्तरमाला
  56. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- कुकुदता से आप क्या समझते हैं? यह वैषम्य से कैसे भिन्न है?
  58. प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र के उपयोग बताइये।
  59. प्रश्न- एक प्रसामान्य वितरण का मध्यमान 16 है तथा मानक विचलन 4 है। यह बताइये कि मध्य 75% केसेज किन सीमाओं के मध्य होंगे?
  60. प्रश्न- किसी वितरण से सम्बन्धित सूचनायें निम्नलिखित हैं :-माध्य = 11.35, प्रमाप विचलन = 3.03, N = 120 । वितरण में प्रसामान्यता की कल्पना करते हुए बताइये कि प्रप्तांक 9 तथा 17 के बीच कितने प्रतिशत केसेज पड़ते हैं?-
  61. प्रश्न- 'टी' परीक्षण क्या है? इसका प्रयोग हम क्यों करते हैं?
  62. प्रश्न- निम्नलिखित समूहों के आँकड़ों से टी-टेस्ट की गणना कीजिए और बताइये कि परिणाम अमान्य परिकल्पना का खण्डन करते हैं या नहीं -
  63. प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- एक वितरण का मध्यमान 40 तथा SD 3.42 है। गणना के आधार पर बताइये कि 42 से 46 प्राप्तांक वाले विद्यार्थी कितने प्रतिशत होंगे?
  65. प्रश्न- प्रायिकता के प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  66. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  67. उत्तरमाला
  68. प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक गणना की प्रोडक्ट मोमेन्ट विधियों का वर्णन कीजिए। कल्पित मध्यमान विधि का उदाहरण देकर वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- उदाहरण की सहायता से वास्तविक मध्यमान विधि की व्याख्या कीजिए।
  72. प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
  73. प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
  74. प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
  75. प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
  76. प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  78. उत्तरमाला
  79. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
  81. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
  83. प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
  85. प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
  87. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन एवं मनोवैज्ञानिक परीक्षण में अन्तर बताइए।
  88. प्रश्न- परीक्षण फलांकों (Test Scores) की व्याख्या से क्या तात्पर्य है?
  89. प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
  90. प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
  91. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  92. उत्तरमाला
  93. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बुद्धि के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  94. प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- वेक्सलर द्वारा निर्मित बच्चों की बुद्धि मापने के लिए किन-किन मापनियों का निर्माण किया गया है? व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- आयु- मापदण्ड (Age Scale) एवं बिन्दु - मापदण्ड (Point Scale) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- बुद्धि लब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है?
  100. प्रश्न- बुद्धि और अभिक्षमता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- वेक्सलर मापनियों के नैदानिक उपयोग की व्याख्या कीजिए।
  102. प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
  103. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  104. उत्तरमाला
  105. प्रश्न- व्यक्तिगत आविष्कारिका क्या है? कैटेल द्वारा प्रतिपादित सोलह ( 16 P. F) व्यक्तित्व-कारक प्रश्नावली व्यक्तित्व मापन में किस प्रकार सहायक है?
  106. प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
  107. प्रश्न- प्रेक्षणात्मक विधियाँ (Observational methods) किसे कहते हैं?
  108. प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
  109. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  110. उत्तरमाला

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